
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही चीन का दौरा करेंगे, जहां वे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन 2020 के बाद पहली बार होगा जिसमें पीएम मोदी चीन की धरती पर कदम रखेंगे। इससे पहले गलवान घाटी में भारत-चीन टकराव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में काफी तनाव आ गया था। अब यह यात्रा दोनों देशों के बीच संवाद बहाल करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

इस शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे प्रमुख देश भाग लेंगे। सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, ऊर्जा सहयोग, और व्यापार जैसे मुद्दों पर विचार होगा। भारत का उद्देश्य है कि इस मंच का उपयोग कर एशियाई देशों के साथ अपने रणनीतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूत किया जाए।

पीएम मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन के बीच सीमा विवाद अभी भी पूरी तरह सुलझा नहीं है। इस पृष्ठभूमि में दोनों देशों के नेताओं के बीच किसी भी स्तर पर बातचीत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह यात्रा क्षेत्रीय स्थिरता और आपसी विश्वास की दिशा में एक सकारात्मक पहल हो सकती है।
