नवदुर्गा मंदिर की स्थापना श्रिमत नरेंद्रनाथ ब्रह्मचारी जी महाराज द्वारा सन् 1966 के आसपास की गई थी।

ब्रह्मचारी जी श्रीरामकृष्ण परंपरा से जुड़े एक उच्च कोटि के संत थे। उन्होंने इस मंदिर को शक्ति की आराधना, साधना और समाजसेवा का केंद्र बनाया।

देवसंग आश्रम, जहाँ यह मंदिर स्थित है, वर्षों से ध्यान, योग, वेदांत और सेवा की परंपरा को जीवित रखे हुए है। यह आश्रम उन लोगों के लिए है जो केवल दर्शन ही नहीं, आध्यात्मिक उन्नति की राह भी चुनते हैं।

मंदिर की संरचना पारंपरिक बंगाली वास्तुकला पर आधारित है।

यहाँ माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की स्थापना एक ही गर्भगृह में की गई है — जो पूरे झारखंड और पूर्वी भारत में दुर्लभ है।

इन स्वरूपों में शामिल हैं:

शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
हर एक प्रतिमा विशिष्ट अलंकरण और भाव मुद्रा में है, जिससे भक्तों को अलग-अलग शक्तियों की अनुभूति होती है।
यह स्थान विशेष रूप से उन साधकों के लिए प्रसिद्ध है जो तंत्र-साधना, ध्यान और ब्रह्मविद्या का अभ्यास करते हैं।
क्या आप जानते हैं? यह मंदिर झारखंड में उन चंद स्थानों में से एक है, जहाँ नवदुर्गा के सभी रूप एक साथ पूजे जाते हैं।
नवरात्रि के दौरान यहाँ विशेष अनुष्ठान, यज्ञ और रात्रि साधनाएँ होती हैं, जो भक्तों के लिए अत्यंत दिव्य अनुभव होता है।
आश्रम परिसर में गौशाला, वेद अध्ययन कक्ष, आयुर्वेदिक औषधालय और छात्रावास भी है — जिससे यह स्थान समाजसेवा और साधना दोनों का केंद्र बन चुका है।
अगर आप देवघर रेलवे स्टेशन से आ रहे हैं, तो मंदिर तक पहुँचने का सबसे सहज मार्ग है:
बजला चौक → कास्टर टाउन → बॉम्पस टाउन → सेठ सुरजमल जालान रोड।
इस मार्ग पर चलते हुए आपको आगे नवदुर्गा चौक मिलेगा — जहाँ से मंदिर और आश्रम परिसर में प्रवेश होता है।
अगर आप बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर से दर्शन करके आ रहे हैं, तब भी आप यही रास्ता ले सकते हैं:
टावर चौक → बॉम्पस टाउन → नवदुर्गा चौक।
Google Maps पर “Dev Sangh Ashram” या “Navdurga Mandir, Deoghar” सर्च करें, आपको सटीक लोकेशन तुरंत मिल जाएगी।
यह स्थान शहर के बीचोंबीच होते हुए भी एकदम शांत, हरा-भरा और साधना-योग के लिए आदर्श है।
तो ये थी हमारी आज की आध्यात्मिक यात्रा —
नवदुर्गा मंदिर, देवसंग आश्रम, देवघर की ओर।
एक ऐसा स्थान जहाँ शक्ति, भक्ति और सेवा एक साथ मिलते हैं।
अगर आप भी कभी देवघर आएं, तो इस स्थान पर माँ के नौ रूपों के दर्शन करना न भूलें।
हम फिर मिलेंगे Deoghar Diary के अगले एपिसोड में — एक और चमत्कारी और ऐतिहासिक स्थल के साथ।
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जय माँ नवदुर्गा! जय देवघर!